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लेखनी कहानी -01-Jun-2022 डायरी जून 2022

हैदराबाद में रसूखदार के नौनिहालों द्वारा चलती गाड़ी में नाबालिग लड़की से सामूहिक बलात्कार 


सखि, 
28 मई को तेलांगना राज्य की राजधानी हैदराबाद में शाम  साढे पांच बजे के बाद एक 17 वर्ष की नाबालिग लड़की के साथ 5 युवकों ने इनोवा कार में सामूहिक बलात्कार कर हैदराबाद और वहां की सरकार का नाम जिस तरह रोशन किया है वह स्वर्णाक्षरों में लिखा जाना चाहिए । ताज्जुब की बात ये है कि इस सामूहिक बलात्कार को जिस तरह मीडिया में जगह दी जानी चाहिए,  उस तरह से नहीं दी जा रही है । कारण तो तुम जानती ही हो सखि । इस देश में तथाकथित सेकुलर मीडिया हमेशा एक समुदाय के बलात्कारियों को छुपाता चला आया है । यदि कोई नाम ब्राह्मण या राजपूत का नाम होता तो उसे महीनों तक प्रचारित किया जाता ।

जम्मू के कठिया का दुष्कर्म प्रकरण याद है ना तुम्हें । जब मंदिर के पुजारी और उसके पुत्र को किस तरह दरिन्दा घोषित कर दिया था मीडिया ने । और याद करोगे तो पता चलेगा कि करीना कपूर, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर जैसी तथाकथित अभिनेत्रियों ने प्ला कार्ड हाथों में लेकर किस तरह नौटंकी की थी "I am ashamed.  I am Hindu" . अब जब ये पांचों बलात्कारी शांतिप्रिय समुदाय के हैं तो किस तरह सब सेकुलर्स,  लिबरल्स,  बॉलीवुड के महान कलाकारों के मुंह पर टेप चिपक गया है । वो खैराती गैंग भी विधवा विलाप नहीं कर रही है जो हमेशा लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में बताती थकती नहीं है ।

पता नहीं वो लड़की भी अब कहीं छुप गई है जो कहती थी "लड़की हूं, लड़ सकती हूं" । अब उस नाबालिग लड़की को इंसाफ दिलाने के लिए क्यों नहीं लड़ रही है वह नेत्री ? तुम अच्छी तरह जानती हो सखि कि वो उस नाबालिग लड़की के पक्ष में खड़ी नहीं होगी । क्योंकि ये बलात्कारी तुष्टीकरण के वोट वाले हैं । इनके खिलाफ कैसे लड़ सकती है कोई सेकुलर लड़की? उनका रहा सहा वोट बैंक खिसक नहीं जायेगा क्या ? 

सखि, घटना इस तरह हुई कि 28 मई को एक फ्रेशर्स पार्टी हैदराबाद के एक प्रसिद्ध पब में रखी गई थी जो दोपहर 1.30 बजे शुरू हुई थी और जो साढे पांच बजे तक चली थी । इस फ्रेशर्स पार्टी में वह 17 वर्षीय युवती भी आई थी । उसकी जान पहचान उस पार्टी में तेलंगाना के असदुद्दीन ओवेसी की पार्टी के एक विधायक पुत्र के साथ हो गई । उस विधायक पुत्र के चार दोस्त भी उस पार्टी में थे । एक तो तेलंगाना के गृह मंत्री का पोता था । एक तेलंगाना वक्फ बोर्ड के चेयरमैन का बेटा था । एक सत्तारूढ दल टी आर एस के विधायक का बेटा था और एक वहां के अखबार के संपादक का बेटा था । इस प्रकार पांचों नौनिहाल सत्ता के बहुत लाडले थे और वे बहुत ही रसूखदार भी थे । 

जब साढे पांच बजे पार्टी खत्म हुई तो वह लड़की अपने घर जाने के लिए तैयार हुई । तो ओवेसी की पार्टी के विधायक पुत्र ने उसे अपनी मर्सिडीज से छोड़ने के लिये कहा । लड़की ने मना भी कर दिया मगर उसने काफी अनुनय विनय की उसे छोड़ने की तो लड़की मान गई । वह मर्सिडीज में बैठ गई । उसके साथ उसके चारों दोस्त भी बैठ गए । मर्सिडीज के साथ एक इन्नोवा भी चल पड़ी । 

रास्ते में उन लड़कों ने उस लड़की को छेड़ना शुरू कर दिया । लड़की ने विरोध किया तो उसे मारा पीटा गया । चूंकि जो काम वे करना चाहते थे वह उस मर्सिडीज में हो नहीं सकता था इसलिए लड़की को इन्नोवा में शिफ्ट किया । फिर बारी बारी से पांचों लड़कों ने बलात्कार किया । उन्हें किसी बात का खौफ नहीं था क्योंकि गृह मंत्री का पोता खुद बलात्कारियों में शामिल बताया गया है । उसके अलावा बाकी लोग भी सत्तारूढ दल के विधायकों , बोर्ड चेयरमैन के बेटे थे । और रही सही कसर अखबार के संपादक के बेटे ने पूरी कर दी । जब अखबार के संपादक का बेटा इसमें शामिल होगा तो मीडिया कैसे इस घटना को दिखा पायेगा ? यहां तो सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं । 

जैसा कि होता है , लड़की खामोश हो गई । उसने घर आकर कुछ नहीं बताया । गले पर निशान देखकर जब मां ने पूछा तो वह टाल गई । जब उसके पापा ने बड़े प्रेम से उसे समझाया तो उसने सारे वाकयात को बताया । तब 31 मई को एफ आई आर दर्ज कराई गई । चूंकि मामला गृह मंत्री के पोते और दूसरे विधायकों के पुत्रों के खिलाफ था इसलिए पुलिस ने केवल मारपीट की धाराओं में केस दर्ज किया । जब लड़की का मेडिकल टेस्ट करवाया गया तब बलात्कार की पुष्टि हुई । उसके बाद सामूहिक बलात्कार की धारा जोड़ी गई और पॉक्सो एक्ट भी जोड़ा गया । 

एक बात बताऊं सखि, ये जो पांचों नौनिहाल हैं न , इनमें से दो तो बालिग हैं , बाकी तीन नाबालिग हैं यानि 17 साल के हैं । पर एक बात बताओ सखि, जो बलात्कार कर रहा है वो भी क्या नाबालिग होता है ? मगर , कुछ लोग , मीडिया, वकील और नेता उनके नाबालिग होने के नाम पर विक्टिम कार्ड खेलकर उन्हें छुड़ा लेंगे । पहली बात तो यही है कि पुलिस उस गृह मंत्री के अधीन है जिसका पोता बलात्कारियों में शामिल है । वह क्या सही जांच होने देगा ? क्या सबूतों को समाप्त नहीं कर देगा ? क्या गवाहों को डर दिखाकर गवाही नहीं देने के लिए बाध्य नहीं करेगा ? और सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस तरह दिल्ली उच्च न्यायालय के एक जज ने एक नाबालिग लड़की के बलात्कार के आरोपी फिरोज को उल्टे सीधे तर्क गढकर बरी कर दिया था , उसकी जवानी का हवाला देकर कहा था कि एक नौजवान को क्या जेल में बंद रखा जाना चाहिए ? जब कोई जज किसी अपराधी को बचाने में ऐसे ऐसे कुतर्क गढता है तो न्याय व्यवस्था से विश्वास उठ जाता है । सुप्रीम कोर्ट ने भी तो राजीव गांधी के हत्यारों को छोड़ दिया है । लालू यादव पांच केसों में सजायाफ्ता होने के बाद भी न्यायालय की मेहरबानी से अपने घर में बैठकर मौज उड़ा रहे हैं । तो ऐसी न्याय व्यवस्था से भी कोई उम्मीद नहीं है सखि । 

मैं तो पूरी तरह आश्वस्त हूं सखि, कि इन दुर्दांत अपराधियों को सजा नहीं होगी । अब देखते हैं कि मेरी यह धारणा सही निकलती है या नहीं । आपका क्या ख्याल है दोस्तो ? 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
5.6.22 

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3 Comments

Kaushalya Rani

08-Jun-2022 05:31 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

07-Jun-2022 11:17 AM

बेहतरीन

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Raziya bano

07-Jun-2022 08:00 AM

Bahut khub

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